फतेहाबाद: सरपंच एसोसिएशन के प्रदेश प्रवक्ता एवं भट्टूकलां ब्लॉक सरपंच एसोसिएशन के प्रधान चंद्रमोहन पोटलिया ने आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार बार-बार पंचायती राज अधिनियम में बदलाव करके ग्रामीण, किसान व सरपंचों के हाथ बांधने का काम कर रही है। हाल ही में सरकार ने छह जून को जो आदेश जारी किए हैं, उसमें सरपंचों को 19 काम करने की अनुमति दी गई है। इनमें 12 काम तो ऐसे हैं, जो पांच साल मेें भी करवाने मुनासिब नहीं हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि गांवों में स्वागत द्वार लगाए गए हैं, अब सरकार कह रही है कि नए स्वागत द्वारा लगाए जाएं, लेकिन जब पहले से ही स्वागत द्वार बने हुए हैं, तो वह दोबारा कैसे बनाए जा सकते हैं। सरपंच फिरनियां नहीं बनवा सकते और ना ही अन्य काम करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में खेतोंं तक पानी पहुंचाने का काम सरपंच का होता है, उसे पता है कि कहां खाल बनवाना है और कहां पानी की व्यवस्था करनी है, लेकिन यह शक्ति भी सरकार ने सरपंचों से छीन ली है। अब तो सरकार ने ग्रामीण आंचल को एक तरह से अनाथ बनाने का षडय़ंत्र रचना आरंभ कर दिया है। विधायकों को गांवों में विकास की शक्ति देकर सरकार एक तरह से ग्रामीण भाईचारे को समाप्त करना चाहती है। विधायक गांव में अपने निजी लोगों के काम करवाएंगे, जबकि गांव का सरपंच निस्वार्थ भाव से गांव का विकास करते हैं, लेकिन सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी भाईचारे को समाप्त करना चाहती है, जिसे सरपंच किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ग्राम पंचायतों के सात हजार करोड़ रुपये बिजली व रजिस्ट्री सरचार्ज के सरकार के पास पड़े हैं, जो ग्राम पंचायतों को अभी तक नहीं दिए। ग्रामीणों से यह सरचार्ज तो वसूल लिया जाता है, लेकिन अभी तक ग्राम पंचायतों को यह राशि नहीं दी गई। इसी प्रकार रजिस्ट्री का सरचार्ज भी ग्राम पंचायतों के पास नहीं पहुंचा है। सरकार की मंशा सीधे तौर पर इन रुपयों को डकारने की है। यही कारण है कि सरकार प्रतिदिन नए-नए कानून पंचायती राज में थोंप रही है। का बजट व बिजली सरचार्ज सरकार के पास पड़ा है, जिसे सरकार पंचायतों को नहीं देना चाहती और ग्रामीण विकास में रोड़ा अटकाना चाहती है। सरपंच ना तो गांव में पशु अस्पताल की देखरेख कर सकते हैं और ना ही सरकारी स्कूलों में होने वाली शिक्षा संबंधी कामों की देखभाल नहीं कर सकती है। इस हिसाब से तो सरकार को पंचायती राज महकमा की बंद कर देना चाहिए