रतिया/जसपाल: रतिया नगर पालिका द्वारा करोड़ो रुपये की लागत से शहर में करवाए जाने वाले विकास कार्यो के टेंडर रद्द किये जाने के विरोध में पार्षदों ने आज रोष जताया। पार्षदों का आरोप है कि नगर पालिका ने मिलीभगत कर टेंडर रद्द किये है। पार्षदों ने इस मामले में सीएम मनोहर लाल व स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री कमल गुप्ता को शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। पार्षदों का कहना है प्रदेश सरकार उन्हें जांच में शामिल करें और दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी जांच हो। नगर पालिका उपाध्यक्ष जोगेंद्र नंदा, पार्षद सुमन रानी, अजमेर सिंह, हरबंस कौर, जसविंद्र कौर, धीरज कुमार, अजय गुप्ता, पार्षद विजय गर्ग, नीरु बाला, पिंकी, गौरव शर्मा व भाजपा मंडल अध्यक्ष सुखविंद्र गोयल ने कहा कि नगर पालिका के पास मौजूदा समय में विभिन्न खातों में करीब 15 करोड़ रुपये की राशि पड़ी है। इसी माह 11 जुलाई को नपा की बैठक में 19 करोड़ रुपये का बजट विकास कार्यो को लेकर पास किया गया था। उनका कहना है कि नगर पालिका ने शहर में अब तक एक रुपये का भी विकास कार्य नहीं करवाया। जून 202 3 में नगर पालिका ने 34 विकास कार्यो के लिए टेंडर जारी किये थे। लेकिन नगर पालिका अधिकारियों ने मिलीभगत कर टेंडरो के एस्टीमेंटों में खामियां बताकर टेंडरों को रद्द कर दिया। नपा ने टेंडर रद्द करने से पहले हाउस व फाइनेंस कमेटी का अवगत भी नहीं करवाया। इससे नगर पालिका पार्षदों व लोगों में रोष है। पार्षदों ने कहा कि नगर पालिका के अधिकारी शहर में विकास कार्य नहीं करवाना चाहते जिससे शहर में सरकार की बदनामी हो रही है। प्रदेश की मांग है कि रद्द किए गए टेंडरों की जांच की जाए और गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करे