फतेहाबाद: फतेहाबाद की सियासत में नगर परिषद प्रधान राजेंद्र खिची ने धमाका कर दिया है। अंतत: उनका गुब्बारा फुट गया है और सब्र जबाव दे गया है। पिछले एक वर्ष से दबाव झेल रहे नगर परिषद प्रधान ने अपरोक्ष रूप से विधायक दुड़ाराम पर हमला बोला है। हुआ यह है कि नगर परिषद प्रधान जो अनुसूचित जाति से संबंध रखते है ने हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा है कि उन्होंने 11 जुलाई 2022 को नगर परिषद के चेयरमैन के तौर पर शपथ ली थी। मगर उन पर दबाव बनाने के लिए असंवैधानिक तौर पर वाईस चेयरपर्सन सविता टुटेजा की कुर्सी उनके साथ लगा दी गई। उन्होंने आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि हरियाणा में कहीं भी किसी नगर परिषद में वाईंस चेयरपर्सन की कुर्सी चेयरमैन के साथ नहीं लगाई गई हैं। प्रधान राजेंद्र खिची ने पत्र में स्पष्ट आरोप लगाया है कि चूंकि वह अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं इसलिए उन्हें नीचा दिखाने के लिए वाईंस चेयरपर्सन की कुर्सी उनके साथ लगाई गई है। प्रधान ने अनुसूचित जाति आयोग से गुहार लगाई है कि नप वाईंस चेयरपर्सन की कुर्सी उनके साथ से हटाई जाए। उल्लेखनीय है कि स्थानीय विधायक दुड़ाराम के हस्तेक्षप से वाईंस चेयरपर्सन की कुर्सी लगी थी। विधायक हमेशा वाईंस चेयरपर्सन के साथ ही राजनीतिक दौरों या बाढ़ राहत कार्यों का जायजा लेते नजर आए। माना जा रहा है कि विधायक व वाईंस चेयरपर्सन के तौर तरीकों से खफा होकर राजेंद्र खिंची ने ऐसा गंभीर कदम उठाया है। चूंकि वाईस चेयरपर्सन विधायक खेमे से है इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि निरंतर दबाव झेल रहे प्रधान ने अपनी पार्टी के विधायक के विरुद्ध ही मोर्चा खोल दिया है। हालांकि नप प्रधान यूटर्न लेने के मामले में हमेशा प्रसिद्ध रहे है। वह पत्र जारी करते हैं लेकिन बाद में पीछे हटते रहे हैं। इस बार भी पीछे हट जाए तो बड़ी बात नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि प्रधान व उपप्रधान में बड़ा चौधरी दिखने की होड़ है। इस होड़ से शहर में विकास कार्र्यं रूके हुए है। अभी तक दोनों में अपरोक्ष लड़ाई थी लेकिन अनुसूचित जाति आयोग को पत्र लिखने के बाद अब दोनों गुट खुलकर आमने सामने की स्थिति में हैं। चर्चा यह भी है कि यदि प्रधान को कहीं से राजनीतिक आशीर्वाद मिल जाए तो वह कई खुलासे कर सकते हैं। जब इस बारे में अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन प्रो. रविन्द्र बलियाला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास शिकायत आई है। शिकायत पर संज्ञान लेकर जिला उपायुक्त को पत्र भेजकर कर निर्देश दिए जा रहे हैं कि इस शिकायत पर संविधान के मुताबिक कार्रवाई कर शिकायत का निपटारा किया जाए और आयोग को निष्पादन रिपोर्ट सौंपी जाए।