फतेहाबाद: अतिरिक्त जिलां एवं सत्र न्यायाधीश सुनील जिंदल की अदालत ने धान खरीद में गड़बड़ी करने व सरकार के राजस्व को चुना लगाने के आरोप में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निरीक्षक सतपाल सिंगला व राईस मिल शिवाजी फूडस चंदडकला के मालिक हरप्रीत सिंह को धारा 420, 409 व 120बी के तहत धोखाधड़ी व अमानत में खयानत करने के आरोप में दोषी ठहराया है। वहीं अदालत ने इस मामले में 21 आरोपियों को बरी कर दिया है। जबकि एक आरोपी की वाद के दौरान मौत हो गई। अदालत 17 अक्टूबर को सजा सुनाएगी। याद रहे कि सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी लेखराज ने 15 दिसंबर 2014 को उक्त लोगों के विरुद्ध उपरोक्त धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था। एएफएसओ लेखराज ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्होंने इंस्पेक्टर सतपाल सिंगला, सब इंस्पेक्टर राकेश व फूड सप्लाई इंस्पेक्टर जाखल कुलदीप सिंह के साथ 15 दिसंबर 2014 को शिवाजी फूडस चंदडकलां में फिजिकल वैरिफिकेशन के लिए विजिट किया था। जांच में राईस मिल में धान की काफी मात्रा में शॉर्टेज मिली। मौके पर 3177 क्विंटल धान पड़ा था और 4797 क्विंटल चावल प्रोसेसिंग में था। रिकॉर्ड मुताबिक शिवाजी फूडस ने 308064 बैग धान अलाट हुआ था। मिलान के बाद पाया गया कि मिल में 86 हजार क्विंटल धान कम है। आरोप था कि इंस्पेक्टर सतपाल सिंगला ने अपने सुपरवाईजर को सूचना दिए बगैर ही इस मिल को 3 हजार मीट्रिक टन धान अलाट कर दिया। इस बारे इस्पेक्टर सतपाल सिंगला निरंतर विभाग को गुमराह करता रहा। शिवाजी फूडस में शार्ट मिली पैडी की कीमत 14 करोड़ रुपये थी। डीएसपी शुक्रपाल सिंह ने जांच के दौरान मुकदमें में भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धारा 13(1) (डी) भी जोड़ दी। चालान के मुताबिक आरोपी सतपाल सिंगला ने डीएसपी को दी स्टेटमेंट में कहा कि उसने राईस मिलर बिटू, हरप्रीत और टोहाना के आढ़तियों से मिलीभगत कर यह घोटाला किया है। पुलिस ने स्टेटमेंट के बाद इस्पेक्टर सतपाल सिंगला के घर से 9 लाख रुपये की नकदी, सोनी मोबाईल फोन तथा उसकी पत्नी के खाते से 3 लाख 25 हजार रुपये बरामद किए थे। पुलिस ने बैंक खाता फ्रीज करवा दिया था। आरोप है कि सतपाल सिंगला ने किसानों से धान की फर्जी खरीद दिखाई और पीआर-1 रजिस्ट्रर फर्जी तैयार किया और विभाग को पीआर 8 और एम 35 के बिल बीसीपीए के मार्फत दिए। सतपाल सिंगला ने शिवाजी फूडस से प्राप्ति की फर्जी रसीद प्राप्त की है। आढ़तियों ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से फर्जी धान की असली पेमेंट भी प्राप्त की है। जांच में राईस मिल के कई साईलेंट पार्टनरों के नाम भी सामने आए। राईस मिलर द्वारा सिक्योरिटी के लिए दिया गया चैक भी फेक निकला। अदालत ने इस खेल में क थित तौर पर आरोपी बनाए गए आढ़तियों व पार्टनरों को तो बरी कर दिया है लेकिन फूड एंव सप्लाई इंस्पेक्टर सतपाल सिंगला व राईस मिलर हरप्रीत सिंह को दोषी ठहरा दिया है। उल्लेखनीय है कि जिला फतेहाबाद में यह गोरखधंधा बरसो से चल रहा है। इस खेल में खरीद एजेंसिया खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता सभी मिले हुए हैं। हर वर्ष यहां लाखों टन परमल धान की बोगस खरीद दिखाई जाती है फिर बिहार और उतरप्रदेश से सस्ता चावल लाकर एफसीआई को दे दिया जाता है। एफसीआई के अधिकारियों को अ’छी तरह पता होता है कि यह चावल पुराना है लेकिन एफसीआई अधिकारी मिलर से प्रति बैग वसूली करते हैं। यदि कोई मिलर तय राशि देने से मना करता है तो उसकी गाडिय़ां रोक दी जाती है। उसका माल पास नहीं किया जाता। अदालत ने एक मामले में तो दोषी ठहराया है लेकिन यहां तो लगभग सभी स्थानों पर यही खेल चल रहा है। यदि खाद्य आपूर्ति अधिकारियों व खरीद एजेंसियों के अधिकारियों की संपत्ति जांच की जाए तो सारी तस्वीर सामने आ सकती है। हैफ ेड के डीएम पद की तो बोली लगती है। नेताओं की राईस सेलरों में हिस्सेदारियां हैं इसलिए यह खेल निरंतर जारी है। किसान यूनियन कई बार यूपी बिहार से आए चावल के ट्रकों को पकड़ चुकी है लेकिन सब जानकर भी अनजान है क्योंकि पैसा किसे बुरा लगता है।