फतेहाबाद: महापुरुषों द्वारा उनके प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर ग्रंथों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आजकल धर्म के नाम पर बहुत भ्रामक प्रचार हो रहे हैं। अ’छे-अ’छे ग्रंथ भी साधारण लगने लगे हैं, जबकि ऐसा है नहीं। ऐसे ही श्री हनुमान चालीसा है, जिसको मात्र इसीलिए पढ़ लिया जाता है क्योंकि इसे पढ़ लेने से संकट कटते हैं, भूत प्रेत नहीं आते जबकि इसमें श्री हनुमान जी का लीला चरित्र बड़े रहस्यमय ढंग से वेद शास्त्र और पुराणों के सार रूप में बताया गया है। आज के धर्म प्रचार की सबसे बड़ी समस्या यही है कि बड़े-बड़े महत्वपूर्ण शब्दों या उनसे जुड़े प्रसंगों को आधा अधूरा सुनकर अपनी मनमर्जी से प्रयोग कर लिया जाता है। भक्ति-ज्ञान और निष्काम कर्म योग जैसे महत्वपूर्ण शब्द आज पढ़े-लिखे अज्ञानियों की मनमर्जी का शिकार हो चुके हैं। श्री हनुमान जी श्री राम चरित्र के प्राण हैं, जिन्हें हनुमान चालीसा में ज्ञान और गुणों का सागर कहा है, अतुलित बल के धाम हैं, फिर चाहे वह देह बल हो या फिर मनोबल-बुद्धि बल और चाहे आत्म बल ही क्यों न हों, तभी वे प्रभु श्री राम जी की सेवा में सर्वोत्कृष्ट शिखर पर रहे। श्री रुघनाथ मंदिर फतेहाबाद के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्री हनुमान चालीसा प्रवचन माला का शुभारंभ करते हुए पू’य चरण गुरूदेव गीता ज्ञानेश्वर डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने कहा कि ऐसे हनुमान जी का चरित्र है श्री हनुमान चालीसा, जिन्हें हनुमान जी होकर ही हमें पढऩा चाहिए। एक या दो पाठ कर हमें हनुमान चालीसा पाठ निपटाना नहीं, पढ़ते-पढ़ते रहस्य समझें। हनुमान जी की भांति ज्ञान और गुणों से संपन्न बनें। आज इस अवसर पर ध्वजारोहण हुआ।मंदिर सभा प्रधान टेकचंद मिढ़ा, सुनील आहुजा, हंसराज ग्रोवर, ओपी बजाज, चंद्रभान नागपाल, ओपी सरदाना, मदन लाल नारंग, गौतम बजाज एवं भरत बजाज ने ध्वज पूजा कर आशीर्वाद लिया