फतेहाबाद/जोइया: अतिरिक्त दीवानी जज (वरिष्ठ खंड) याचना की अदालत ने बिजली उपभोक्ता को बड़ी राहत देते हुए बिजली निगम की ओर से दिए गए 1,28, 384 रुपये की राशि के बिल को गैरकानूनी ठहराते हुए रद्द कर दिया। जानकारी के मुताबिक जीटी रोड स्थित जाट धर्मशाला के प्रधान जगदीश झाझडा को निगम की ओर से उनके यहां लगे बिजली के कनेक्शन का बिजली बिल निगम की ओर से 1,28,384 रुपये दिया गया था। प्रधान जगदीश झाझडा ने इस बिल को अपने अधिवक्ता संत कुमार के जरिए अदालत में चुनौती दी थी। उपभोक्ता ने अदालत में दायर केस में बताया कि वह अपने बिजली बिल का लगातार भुगतान करते रहे है और उनकी तरफ से निगम का कोई बिजली बिल बकाया नहीं है। निगम ने उन्हेे सुनवाई का मौका नहीं दिया। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद निगम की ओर से दिए गए 1,28, 384 रुपये के बिजली बिल को गैरकानूनी बताने हुए रद्द कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा की निगम ने उपभोक्ता से यदि कोई राशि जमा करवाई है तो वह उसे 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापिस करे।