फतेहाबाद। वाहु वाहु गोबिंद सिंह आपे गुरु चेला, धन गुरु धन बाजां वालेया जग तों निराली तेरी शान है, तुम हो सब राजन के राजा आपे आप गरीब निवाजा , जप मन मेरे गोबिंद की बाणी , धन धन जन आया जिस प्रसाद सब जगत तराया, डिठे सबहि थांव नही तुध जेहा आदि शब्द कीर्तन के माध्यम से गुरुबाणी व गुरु महिमा का वर्णन किया गया। मौका था गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में मेन बाजार स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में आयोजित समागम का। इस अवसर पर समागम में जहां पटियाला से कथावाचक बेअंत सिंह और समाना से कविसर जत्था साहब सिंह ने गुरुमत विचार सांझे किए और गुरुओं की जीवनी के बारे में बताया वहीं हजूरी रागी जत्था भाई दविंद्र सिंह और भाई सरबजीत सिंह रागी जत्था गुरुनानकपुरा गुरुद्वारा ने शब्द कीर्तन के माध्यम से गुरुओं की बाणी का गुणगान किया। मंच संचालन गुरुद्वारा सिंह सभा के महासचिव महेंद्र सिंह वधवा ने किया। शब्द कीर्तन और कविताओं के माध्यम से बताया गया कि किस तरह से गुरु गोबिंद सिंह ने देश में मजलूमों की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार को कुर्बान कर दिया। उनके जैंसा महादानी न कोई हुआ है न ही कोई होगा। बताया गया कि जब गुरु गोबिंद सिंह का पटना साहिब में जन्म हुआ तो हर और खुशहाली महसूस की गई। गुरु गोबिंद सिंह ने देश व कोम की खातिर अपना पूरा वंश वार दिया इसलिए उन्हें सरबंस दानी भी कहा जाता है। गुरु गोबिंद सिंह ने ही 1669 में शीश की बलिदानी लेकर पांच प्यारे बनाने के साथ खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु जी ने कहा था कि सवा लाख से एक लडाऊं तबहि गोबिंद सिंह नाम कहाऊं। बताया गया कि हमें भी गुरु जी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर देश और कोम की रक्षा के लिए अपने आपको कुर्बान करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। गुरुघर की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि अगर हम निष्काम भाव से आकर गुरुघर में अरदास करते हैँ तो हमारी अरदास मंजूर होती है और हमें गुरु की दात मिलती है। अगर हमें गुरुघर से दात नहीं मिली तो दुनिया में कहीं भी चले जाए हमें दात नहीं मिलेगी। इसलिए भटकना छोड़कर गुरुघर से जुडें। इस अवसर पर गुरु का अटूट लंगर भी चलाया गया। समागम में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीएस वधवा, गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान हरचरण सिंह महासचिव महेंद्र सिंह वधवा, महेंद्र सिंह ग्रोवर, हरमीत सिंह, बलदेव सिंह, अजीत सिंह, रमनदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह बग्गा, हरमिंद्र सिंह मिंकू, कुलबीर सिंह, जसप्रीत काकू, गुरमीत सिंह, संजीव मोंगा, गुलशन मोंगा, विकास बतरा, गौरव बतरा, दयासिंह, मोहनलाल नारंग व यूथ खालसा सोसायटी के सभी सदस्यों सहित अनेक संगत उपस्थित थी