फतेहाबाद/टोहाना: जननायक जनता पार्टी को आज उस समय बड़ा झटका लगा जब पार्टी प्रदेशाध्यक्ष स. निशान सिंह ने जजपा को अलविदा कह दिया। स. निशान सिंह बोले उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अजय चौटाला को मौखिक इस्तीफा दे दिया है और जल्द ही लिखित इस्तीफा भी देकर आएंगे। उन्होंने पार्टी छोडऩे की कोई वजह नहीं बताई। बस इतना ही कहा कि कई स्पीड ब्रेकर थे, इसलिए पार्टी छोड़ दी। भावी कदम के बारे में उन्होंने कहा वह समर्थकों के साथ बैठक कर फैसला लेेंगे। हालांकि उनका कांग्रेस में शामिल होना तय है। गत दिवस उन्होंने पूर्व केबिनेट मंत्री अशोक अरोड़ के मार्फत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी। उनके साथ जजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र लेगा व शहरी प्रधान पवन चुघ भी थे। इस ‘वाइनिंग की बुनियाद तो जुगलाल टुटेजा के कांग्रेस ‘वाईंन करते वक्त ही पड़ गई थी। तब से अब तक अशोक अरोड़ा निरंतर पवन चुघ के सम्पर्क में रहे और जजपा नेताओं की ‘वाईनिंग के प्रयास करते रहे। पवन चुघ ने कई बार निशान सिंह से बात की लेकिन वह टालते रहे। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद निशान सिंह व उनके समर्थकों को समझ गया कि अब जजपा में कुछ नहीं बचा और पवन चुघ के मार्फत बेपटरी हुई बातचीत फिर शुरू हो गई। इस प्रक्रिया में कल निशान सिंह, सुरेन्द्र लेगा व पवन चुघ दिल्ली पहुंचे और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि श्री हुड्डा ने उनसे कहा कि पार्टी की लोकसभा टिकटों की घोषणा के बाद उनकी ‘वाइङ्क्षनग करवाई जाएगी। इस मामले में एक बात और भी सामने आई है कि जब वह भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से लौटकर तो रास्ते में ही रणबीर झाझडा का फोन आया और उन्होंने पूछा कि क्या हुड्डा से मिल आए। पता चला है कि निशान सिंह ने टालने की कोशिश की मगर उन्होंने कहा हमें पता है शाम को दिग्विजय चौटाला का भी फोन आया और उन्होंने पूछा कि कहां कमी रह गई थी। वहीं निशान सिंह आज दिनभर समर्थकों से बात करते रहे। सूत्र बताते है कि उनके साथ पार्टी के कई नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते है। वहीं चर्चा यह भी है कि जजपा से नाराज चल रहे 2-3 विधायक भी कांग्रेस का दामन थामेंगे। टोहाना में कांग्रेस की स्थिति कमजोर थी। जजपा नेता निशान सिंह के कांग्रेस में आने से यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी। विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस के पास और विकल्प आ जाएगा। कांग्रेस के पास कोई बड़ा सिख चेहरा भी नहीं था। निशान सिंह उस कमी को दूर कर सकते है। वहीं रोचक बात यह भी है कि इस गुट से खफा होकर डा. वीरेन्द्र सिवाच कांग्रेस में शामिल हुए थे। अब यह गुट भी उनके पीछे कांग्रेस में आ गया है।