फतेहाबाद: सामाजिक कार्यकर्ता हरदीप सिंह ने चिल्ली झील और शहर के बरसाती पानी निकासी में बाधा बने प्लाट मामले पर प्रतिक्रिया जारी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर परिषद और पब्लिक हेल्थ ने केवल मात्र करोड़ों के बजट का गोलमाल करने के लिए ही चिल्ली निर्माण व बरसाती पानी निकासी पाइप लाइन प्रोजेक्ट तैयार करने के समय सरकार से रास्ते में इस प्लाट के होने की जानकारी छुपाई थी। उन्होंने मीडिया को इस मामले में आरटीआई जानकारी से प्राप्त प्रोजेक्ट तैयार करने के समय विभाग द्वारा सरकार को भेजे गए नक्शे की काॅपी भी जारी की है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक चिल्ली झील और बरसाती पानी निकासी के नाम पर जो करोड़ों रूपए का गोलमाल हुआ है, इसकी जांच करवाए जाने बाबत जल्द ही न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। हरदीप सिंह ने कहा कि आज कुछ पार्षद व नेता बेशक इस मामले में धरना देकर इसे ताजा मामला होने की बातें कह रहे हों, लेकिन न्यायालय में यह मामला बीते एक साल से चल रहा है। नप, पब्लिक हेल्थ अधिकारियों को इस प्लाट के सभी प्रोजेक्ट में बाधा होने की जानकारी होने का प्रमाण इसी से मिलता है कि चिल्ली झील निर्माण व बरसाती पानी निकासी निर्माण शुरू होने से अब तक काम इस प्लाट तक ही अटका हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बारे करीब एक साल पहले उन्होंने आरटीआई से जानकारी प्राप्त की थी, जिसमें विभाग ने जो नक्शा उन्हें पास हुआ दिखाया है, उसमें इस प्लाट का कहीं जिक्र तक नहीं है। बड़ा सवाल यह उठता है कि करोड़ों रूपए के प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले नियमानुसार रास्ते में किसी की जगह होने की आपत्ती जताने वालों के सामने आने की सार्वजनिक सूचना जारी क्यों नही की गई। इतना ही नहीं आरटीआई से मांगी गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में काम शुरू होने के 12 माह के भीतर विभाग व एजेंसी को निर्माण कार्य पूरा करने की शर्त अंकित की गई है। वर्ष 2020 में शुरूआती बजट 7 करोड़ चिल्ली झील और वर्ष 2021 में करीब 40 लाख रूपए बरसाती पानी निकासी पाइप लाइन के लिए रखा गया था। लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद बजट भी दोगुना 13 करोड़ रूपए तक खर्च हो गया, न चिल्ली झील बनी और न ही बरसाती पानी निकासी का काम पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि इस गोलमाल के खिलाफ वे बीते एक साल से आवाज उठा रहे हैं, लेकिन इस एक साल में पार्षद मोहन लाल नारंग को छोड़ कर ना कभी किसी पार्षद ने आवाज उठाने का साहस दिखाया और ना ही विधायक बनने के चाहवान किसी नेता ने। उन्होंने कहा कि जिस प्लाट बाधा को प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले चंद लाख में खरीद कर हल किया जा सकता था, आज 13 करोड़ी प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए इस प्लाट बाधा को पार करने की कीमत 1 करोड़ पहुंच गई है। इसके पीछे सीधे तौर पर संबंधित विभागों के अधिकारी जिम्मेदार है, जिनके खिलाफ वे न्यायालय की शरण में जाएंगे।