फतेहाबाद। शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने जिस आजादी का सपना देखा था, वह आजादी आज भी अधूरी है। आज भी समाज को उनके विचारों की जरूरत है। यह बात पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष मनदीप नथवान ने आज शहर के पपीहा पार्क में शहीद-ए-आजद भगत सिंह की 118वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद किसानों और युवाओं द्वारा जिला प्रधान ओमप्रकाश हसंगा के नेतृत्व में पपीहा पार्क से मार्च निकाला गया। शहीद भगत सिंह अमर रहे के जयकारों के साथ यह मार्च हंस मार्किट स्थित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पहुंचा जहां किसानों और युवाओं ने शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। शहीद भगत सिंह की प्रतिमा के पास लगे कूड़े के ढेर देखकर किसान और युवा काफी खफा नजर आए। इनका कहना था कि आज के नेताओं को सिर्फ अपने वोटों की चिंता है। जिन वीर शहीदों के बलिदान के चलते हमें आजादी मिली, उन्हें कोई सम्मान नहीं मिल रहा।
किसान नेता मनदीप नथवान ने कहा कि आज जो देश के हालात हैं ऐसे में शहीद-ए-आजम भगत सिंह का याद आना लाजिमी है। जिस तरह से राजनीति का व्यवसायीकरण हुआ है। धंधेबाजों के हाथ में देश की बागडोर है। सियासत का मतलब बस ऐशोआराम, रुतबा और कारोबार रह गया है। देशभक्ति के नाम पर दिखावा है। युवा वर्ग देश व समाज के प्रति उदासीन और पथ से भटका हुआ है। किसान और जवान सत्ता के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द बनकर रह गये हैं। जमीनी मुद्दे देश से गायब हैं। रोजी-रोटी का देश पर बड़ा संकट होने के बावजूद दूर-दूर तक क्रांति की कोई चिंगारी नहीं दिखाई दे रही है। यदि कहीं से विरोध के स्वर उभरते भी हैं तो जाति और धर्म के नाम पर। राज्य महासचिव संदीप सिवाच ने कहा कि आज मौकापरस्त राजनीतिक पार्टियां केवल वोटों तक ही सिमट कर रह गई है। वोटों के बाद किसानों, मजदूरों से जुड़े मसलों को हल नहीं किया जाता। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे शहीद भगत सिंह के विचारों को जीवन में अपनाए और अपने हकों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें। इस अवसर पर संदीप सिवाच, जिला सचिव महेन्द्र मोची, हिसार जिला प्रधान सतीश बैनीवाल सहित काफी संख्या में किसान और युवा मौजूद रहे।
शहीद भगत सिंह के सपनों की आजादी आज भी अधूरी : मनदीप नथवान
पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति ने मार्च निकालकर शहीद को किया नमन, प्रतिमा के पास कूड़े के ढेर देखकर हुए आहत
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