फतेहाबाद: नगर परिषद प्रधान राजेन्द्र खिची द्वारा उपप्रधान सविता टुटेजा की कुर्सी अपने साथ से हटवाने को लेकर आज नगर परिषद के पार्षद दो गुटों में बंट गए और खुलकर आमने सामने आ गए। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर व्यक्तिगत आरोप लगाए। शुरुआत उपप्रधान पक्ष के पार्षद पंछी ठेकेदार व सुभाष नायक ने की। उन्होंने प्रधान पर आरोप जड़े तो प्रधान पक्ष के सात पार्षदों हंसराज योगी, राजेन्द्र आहुजा, मास्टर चंद्रभान वधवा, मोहन लाल नारंग, रमेश गिल्होत्रा, मनोज भ्याना, सुरेन्द्र ढिंगवाल ने उपप्रधान के पति व उनके कारोबार पर मोर्चा खोल दिया है। हंस राज योगी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उपप्रधान के पति के कारोबार की वजह से अनेक लोगों की जिंदगियां खराब हो चुकी है। कुल मिलाकर नगर परिषद एक बार फिर मछली बाजार में बदला नजर आया। पार्षदों की खींचतान के चलते आम आदमी पिस रहा है और अधिकारियों की पौं बारह है। आज विवाद की शुरुआत पार्षद प्रतिनिधि पंछी ठेकेदार और पार्षद सुभाष नायक ने की। उल्लेखनीय है कि दोनों अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं और उपप्रधान गुट के माने जाते हैं। दोनों उपप्रधान सविता टुटेजा के समर्थन में मीडिया के सामने आए और बोले की प्रधान ने जाति का सहारा लेकर समाज को बांटने का काम किया है। प्रधान को 36 बिरादरियों ने मिलकर बनाया था। उपप्रधान की कुर्सी उन्होंने खुद लगवाई थी। प्रधान जी महीने में 1-2 घंटे ही दफ्तर में आते हैं जबकि सविता टूटेजा रोज आती हैै। जो काम करेगा उसका ही नाम होगा। पंछी ठेकेदार ने आरोप लगाया कि प्रधान जी एससी समाज के पार्षदों के साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं और उनके काम नहीं होने देते। उन्होंने कहा यदि वह एससी समाज का मानते हैं तो बाबा भागीरथ के प्रोग्राम में क्यों नहीं आए। पंछी ने कहा जैसे ही सविता टुटेजा को पता चला कि रंगोई नाला टूट गया है वह बाइपास तटबंध पर पहुंच गई और दिन रात सेवा की। जबकि प्रधान जी को किसी ने वहां नहीं देखा। क्या प्रधान जी निमंत्रण का इंतजार कर रहे थे। इस प्रेस कॉफ्रेंस के जवाब में शाम को प्रधान पक्ष के पार्षदों ने एक प्रेस कॉफ्रेंस की। पार्षद सुरेन्द्र ढिंगवाल ने कहा कि प्रधान की पावर हाईजैक कर ली गई है। जब पानी सिर से निकल गया तो मजबूरी में प्रधान को अनुसूचित आयोग को पत्र लिखना पड़ा। एक साल बीत जाने के बाद भी साजिश के तहत प्रधान को गाड़ी नहीं दी गई। कई बार विधायक दुड़ाराम को उपप्रधान की कुर्सी हटाने को कहा गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। अलग कमरा बनाने की सिर्फ बात ही होती है बनता नहीं हैं। अधिकारी प्रधान की बात नहीं मानते। छोटे काम के लिए भी गिड़गिड़ाना पड़ता है। पार्षद हंस राज योगी ने कहा उपप्रधान अपने साथ हमेशा फोटोग्राफर रखती है। जो उपप्रधान की चिकनी चुपडी बातें जारी करते हैं। उन्होंने कहा उपप्रधान पक्ष के कुछ पार्षद प्रधान को लल्लू तक कहते हैं। प्रधान की शराफत का नाजायज फायदा उठाया जा रहा है। दो पार्षद प्रतिनिधि धृतराष्ट्र और शकुनी की भूमिका अदा कर रहे हैं। प्रधान ईमानदार है और उसकी सेवा करने की मंशा है लेकिन उन्हें अधिकार नहीं दिए जा रहे। उन्होंने कहा उपप्रधान पति पर जो टैग लगा हुआ है वह समाजसेवा के ढोंग से हटने वाला नहीं है। उनकी वजह से कई जिंदगियां खराब हुई है। पार्षद प्रतिनिधि राजेन्द्र आहुजा ने कहा 5 करोड़ के टेेंडर मात्र एक ठेकेदार पंकज को दे दिए गए हैं। जबकि रिकॉर्ड में उसका नाम नहीं है। वर्क ऑर्डर पर ठेकेदार कोई और है, जब उस ठेकेदार से बात करो तो वह कहता है कि मेरा कोई लेना देना नहीं पंकज से बात कर लो। 5 करोड़ के टेंडर में अधिकारियों की भी पार्टनरशिप है। ठेकेदार ही नगर परिषद के मालिक बन गए हैं। प्रधान की शक्तियां कैपचर कर ली गई है। छोटे छोटे काम के लिए विधायक के पास जाना पड़ता है। पार्षद मोहन लाल नारंग ने कहा कि नगर परिषद ने गेट बनाने, तिरंगा लाईट लगाने के लिए करोड़ों का बजट पास किया है। यह पूर्णतया नाजायज है। जनता का पैसा यू नहीं लुटाया जाना चाहिए। अनाप शनाप खर्चों पर रोक लगनी चाहिए। लोगों ने प्रधान की छवि देखकर वोट दिए थे। अब पत्र देखकर उनका दर्द समझ आता है। जैसा वह काम चाहते हैं वैसा नहीं हो रहा। हालात यह है कि एक पार्षद अपनी मर्जी से स्ट्रीट लाईट तक नहीं लगवा सकता। पार्षद रमेश गिल्होत्रा ने कहा कि नगर परिषद के प्रोटोकॉल के मुताबिक चलनी चाहिए। श्री नारंग ने कहा कि उपप्रधान केवल प्रधान की अनुपस्थिति में ही काम क रने के लिए ही अधिकृत है। प्रोपर्टी आईडी दुरुस्त करवाने के लिए लोग मारे मारे घूम रहे हैं। कुल मिलाकर नगर परिषद में तनाव की स्थिति पैदा हो चली है। अधिकारियों का राज चल रहा है और लोग अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहे हैं।