भगवान प्रेम के आधीन हैं।जो जीव प्रेम से छल-कपट रहित होकर भगवान को रिझाता है उसके लिये भगवान को पाना आसान हो जाता है।उक्त बातें साध्वी शांत योगानंद ने बीघड़ रोड़ स्थित श्री योग अनुभव मंदिर में पितृ पक्ष के अवसर पर चल रही श्री मद् भागवत कथा में पंचम दिवस की कथा के दौरान कही।भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए नामकरण संस्कार,पूतना उद्धार और चीरहरण लीला का भी वर्णन किया।उन्होंने बताया आज समाज में इस लीला का गलत अर्थ लिया जाता है।भगवान की प्रत्येक लीला में एक संदेश छिपा होता है।जिस समय यह लीला हुई उस समय कन्हैया केवल पाँच वर्ष के बालक थे।वास्तव में भगवान ने गोपियों के वस्त्र नहीं,अविद्या और अज्ञान को चुराया।गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए साध्वी शांत योगानंद ने कहा जब इन्द्र को अभिमान हो गया की वह अपनी शक्ति से ब्रज में हाहाकार मचा सकता है।तब 7 वर्ष के कन्हैया ने 7 कोस में फैले गोवर्धन को 7 दिन और रात तक अपनी उँगली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा करके इंद्र के अभिमान को चूर किया,क्योंकि भगवान को अभिमान बिलकुल पसंद नहीं।जो जीव भजन-साधन करते हुए कर्ता पने का अभिमान रखता है भगवान उस से कोसों दूर हो जाते हैं।इस दौरान श्री नंगली दरबार से पधारे स्वामी विज्ञान प्रेमानंद जी महाराज और बाई भक्ति प्रेमानंद जी ने व्यास पीठ का अभिनंदन किया तथा संगतों का मार्गदर्शन करते हुए कहा की इस पितृ पक्ष में भागवत कथा सुनने से हमारे पूर्वज प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद देते हैं।इस अवसर पर श्री गोवर्धन नाथ की सुंदर झांकी बनाकर भगवान को छप्पन भोग लगाये गये व अंत में सभी भक्तों को छप्पन भोग का प्रसाद भी वितरित किया गया।